जुलाई में होगा सदी का सबसे बड़ा संयोग, आप भी जानिए 103 मिनट...
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May 27, 2018 11:50 AM

बेंगलूरु. आगामी 27 जुलाई की रात 21 वीं शताब्दी का सबसे अधिक पूर्णता अवधि वाला पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। इसे भारत से भी देखा जा सकेगा। भारतीय ताराभौतिकी संस्थान के प्रोफेसर (सेनि) रमेश कपूर ने बताया कि वर्ष 2018 में दो पूर्ण चंद्रग्रहण में से यह दूसरा चंद्रग्रहण है। पहला 31 जनवरी को हुआ था जो बेहद रोमांचक ग्रहण था और भारत से दर्शनीय था। आगामी पूर्ण चंद्रग्रहण 27 एवं 28 जुलाई की रात होगा और इसे भी भारत से देखा जा सकेगा। यह ग्रहण अपने पूरी अवधि में भारत से दर्शनीय होगा अर्थात उपछाया के ग्रहण से शुरू होकर उपछाया के ग्रहण के अंत होने तक। उपछाया का ग्रहण भारतीय समयानुसार 22.44 बजे शुरू होगा। इससे एक घंटे के बाद 23.54 बजे आंशिक ग्रहण की शुरुआत होगी। तब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करेगा। रात्रि एक बजे (यानी 28 जुलाई) ग्रहण पूर्ण हो जाएगा। इस ग्रहण का महत्तम 1 बजकर 51 मिनट (28 जुलाई) पर होगा जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया के मध्य में जा पहुंचेगा। पूर्णता की स्थिति 2.43 बजे समाप्त होगी और चंद्रमा पृथ्वी की छाया से बाहर आने लगेगा। यह आंशिक ग्रहण में बदल जाएगा। आंशिक ग्रहण सुबह 3.49 बजे खत्म होगा और उपछाया का
ग्रहण सुबह 4.58 बजे खत्म होगा।
प्रोफेसर कपूर ने बताया कि आगामी पूर्ण ग्रहण मिनी मून का ग्रहण होगा। अर्थात पूर्ण ग्रहण की स्थिति में चंद्रमा इस बार अपनी कक्षा में पृथ्वी से लगभग दूरतम स्थिति पर होगा। इतनी लंबी पूर्णता की अवधि इसलिए है क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी की छाया के लगभग बीचो-बीच से होकर गुजरेगा। पिछले ग्रहण में पूर्णता के समय चंद्रमा का रूप लालिमा लिए हुए था। आगामी ग्रहण के समय मानसूनी बादल हो सकते हैं लेकिन आसमान साफ रहा तो ग्रहण का शानदार नजारा देखने को मिलेगा।
पूर्णता की होगी अवधि 103 मिनट
इस ग्रहण की विशेषता है कि पूर्णता की अवधि 103 मिनट होगी। यह अवधि 21 वीं शताब्दी में होने वाले पूर्ण चंद्रग्रहणों की पूर्णता की अवधि से सबसे अधिक होगी। इक्कीसवीं शताब्दी में केवल छह पूर्ण चंद्रग्रहण हैं जिनकी पूर्णता की अवधि 100 मिनट से ज्यादा है। इनमें से एक 15 जून 2011 हो चुका है और अगला 26 जून 2029 को होगा। इससे पहले 31 जनवरी के पूर्ण ग्रहण में पूर्णता की अवधि 76 मिनट थी। यह सुपर मून ग्रहण भी था।
मंगल और शनि भी होंगे चांद के करीब
पूर्ण ग्रहण के समय चंद्रमा से लगभग 7 डिग्री नीचे मंगल ग्रह अपनी तीव्र चमक के साथ प्रस्तुत होगा इसलिए आसमान में दो लाल रंग की चीजें एक साथ अद्भूत नाजरा पेश करेंगी। आसमान में इनसे लगभग 30 डिग्री दूर पश्चिम की ओर शनि ग्रह को भी कोरी आंख से देखा जा सकेगा। भारत से देखा जा सकने वाला अगला पूर्ण चंद्रग्रहण 3 साल बाद 26 मई 2021 को होगा तब पूर्णता की अवधि केवल 14.5 मिनट होगी। इसलिए यह ग्रहण विशेष है। प्रोफेसर कपूर ने बताया कि ग्रहण दक्षिण भारत में शताब्दियों पूर्व पावन काल के रूप में जाना जाता रहा है।
