चम्बल नदी का जल स्तर बढ़ने से दो दर्जन गाँव के लोगो की धड़कने तेज

*2016 में कायछी गाँव आया था बाढ की भयंकर चपेट में जिला प्रशासन ने सात दिन जमाए रहा था डेरा*

रामकिशोर कुशवाह
चकरनगर (इटावा)चम्बल नदी का जल स्तर बढ़ते ही दो लगभग  दर्जन गांव के लोगों की धड़कने तेज होने लगती है।सन् 1992 की बाढ़ याद करके घबड़ाहट होने लगती है ।हथनी कुण्ड से छोड़ा जाने वाला पानी चम्बल नदी की तो तस्वीर बदल ही देता है ।लेकिन और समीप नदिया भी इसकी चपेट में आकर उफनने लगती है ।ख़ास तौर पर इसका प्रभाव यमुना नदी पर इस प्रकार पढ़ जाता है कि उलटा बहाव शुरू हो जाता है ।जिससे यमुना नदी के किनारे बसे गाँव भी  सकते में पड़ जाते है।

मालूम हो कि जिला इटावा का तहसील चकरनगर क्षेत्र उत्तरप्रदेश का बो हिस्सा है ।जहाँ पर पाँच नदियों एक साथ मिल जाती है ।जिसमे चम्बल ,यमुना,क्वारी,सेंध, पहुँज आदि नदी शामिल है ।इनमे भी ख़ास तौर पर चम्बल और यमुना के किनारे बसे गाँव के लोगों को बाढ़ से प्रभावित होने का भय सताने लगता है।बाढ़ से मुख्य भयवीत गाँव कुछ इस प्रकार सहसों,कुंवरपुरा,नदा,मिटाटी ,कतरोली ,सढ़ोकरा,गुरभेळी,खोडन ,अनेठा,कुरछा,वंसरी,ढकरा,ददरा,किदौल,कायछी,गुहानी,डिभोली,खिरिटी,इत्यादि गाँव बाढ़ देखकर चिंतित होने लगते है।2016 में कायछी गाँव तो बुरी तरह बाढ़ से घिर गया था और लोग पलायन करने लगे थे निकलने तक को रास्ता नही बचा था ।पूरी सरकार हिल गयी थी ।जिला प्रशासन ने रातों रात बाढ़ नियंत्रण के लिए डेरा जमा लिये थे ।फिलहाल नदी का  बढ़ा जल स्तर खतरे के निशान से काफी नीचे है ।लेकिन इसी चाल से बहाव बढ़ता गया तो  खतरे के निशान को छूना बड़ी बात नही होगी।अब बात आती है चम्बल नदी में पल रहे जल जीवों की सबसे स्वच्छ पानी चम्बल नदी का माना जाता है ।जिसके कारण डॉल्फ़िन जैसी तेज मछलियां भी विस्तार पकड़ रही है ।अब इनकी संख्या 24 से बढ़कर 34 बताई जा रही है ।डिंगार ,सहर्प, मछली ,जैसी तमाम  मछलियां बाढ़ आने से गंधा मिट्टी का  पानी डेल्टा बनाते समय मिटटी गारा की तरह बन जाता है ।और मछलियां अंधी हो जाती है और घबड़ाकर नदी के किनारे भागती है ।लेकिन किनारे पर उस्ताज वर्षों से इंतज़ार करते है बाढ़ का और डगना(बका) से खीचकर काम तमाम करते है ।सम्बंधित सेंचुरी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी हजारों रुपए तनखाह लेने के बाद भी सुख की नींद सो रहे है।ये सरकार को चकमा दे ही रहे है साथ ही वन जीवों व जल जीवों की रक्षा की जगह भक्षकों को संरक्षण प्रदान कर रहे है ।और अगर नही तो दिन के उजीते में बोरियों में मछली ले जाइ जा रही है ।आपने कार्यवाही पकड़ना कोई मुनासिफ और कर्तब्य नही समझ रहे हो ।जाहिर है आप के सज्ञान में सब कुछ होने के बाद भी कुछ नही होने से ये कार्य चाहे लकड़ी माफिया हो या मत्स्य माफियाओं का कार्य जमकर फल फूल रहा है ।

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