चंबल इलाके में तेंदुओं का आंतक, लोगों में दहशत
Publish: Aug, 01 2018 09:04:09 PM (IST)

लोग तेंदुओं की आवाजों को सुन कर रात के अधरे में जाग कर रात गुजारने को मजबूर हैं।
इटावा. एक समय था जब चंबल में डाकुओं का आतंक हुआ करता था, लेकिन डाकुओं के प्रभाव वाले इस क्षेत्र में अब तेंदुओं का आतंक है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि चंबल से जुड़े इटावा जिले के चकरनगर, चांदई, फूटाताल, सिंडौस, पिपरौली गढिया, अहेरिया, सगरा आदि के लोग तेंदुओं की आवाजों को सुन कर रात के अधरे में जाग कर रात गुजारने को मजबूर हैं।
ग्राम गाती के प्रधान रामवीर सिंह ने बताते हैं कि राम प्रकाश चकरनगर मार्ग सियादेवी मंदिर के पास एक झोपड़ी में रहते हैं। सोमवार व मंगलवार की रात्रि मे तेंदुए ने उनकी बछिया पर हमला कर दिया जिससे उसकी मौत हो गई।
वहीं तीन दिन पहले ग्राम गाती में महिला स्वास्थ्य केंद्रं के पास रात मे ममेशी बैठे थे तभी तेंदुओं ने कई मवेशियों पर हमला बोल दिया, जिससे कई जानवर घायल हो गए।
बीती रात ग्राम रमपुरा में दो जगहों पर तेंदुओं ने हमला बोला, जिसमें गोकरन सिंह की बछिया को घायल हो गई और हीरा सिंह की बछिया को अपना शिकार बना लिया। सुबह तेंदुए के पैरों के निशान भी देखे गए।
ग्रामीणो का कहना है कि अगर तेंदुआ आदमखोर हो गया है तो इंसानों पर हमला कर देगा। ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है।
चकरनगर के सरेंद्र सिंह, उषादेवी और बुदसिंह ने शिकायत कि रात को तेंदुओं की आवाजें गांव वालों को डरा रही हैं इसी कारण गांव वालों को एकजुट होकर आग जला कर झुंड बना कर बैठना पड़ रहा है। यह सिलसिला कई दिनों से चलता आ रहा है।
चकरनगर के रहने वाले रमेश सिंह ने बताया कि कुछ दिन पहले एक बकरी का शिकार करने के अलावा तेंदुए का झुंड कई बार मवेशियों का शिकार करने के साथ-साथ एक पुजारी को भी मौत का शिकार बना चुका है, लेकिन इसके बावजूद भी चंबल सेंचुरी के अफसरों पर आज तक कोई असर तेंदुओं के आंतक को ले करके नहीं हुआ है ।
चंबल सेंचुरी के अफसरों का साफ-साफ कहना है कि यह जंगल तेंदुओं का आशियाना है यहां रहने वाले लोगों को अपनी सुरक्षा के इंतजाम खुद-ब-खुद करने की जरूरत है क्यो कि वन्यजीव जंगल में विचरण करते हैं वह किसी भी इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते लेकिन जब इंसान उसे छेड़छाड़ करते हैं तब नुकसान जैसे वाक्य आम हो जाते हैं ।
एक अनुमान के अनुसार चंबल मे करीब एक दर्जन के आसपास तेंदुए के होने की संभावनाए चंबल सेंचुरी के अफसरों की ओर से जताई जाती रही है और इसके यदाकदा प्रमाण भी मिलते रहे हैं। साल 2007 में चकरनगर इलाके के जगतौली गांव के पास करंट लगने से एक तेंदुए की मौत के बाद पहली दफा चंबल में तेंदुए की आहट होने का सिलसिला शुरू हुआ था।
जिससे उसकी भी मौत हो गई
दो साल पहले सहंसो इलाके के विडंवा खुर्द गांव के पास बिजली के करंट लगने से पानी की तलाश में आए दो तेंदुए की मौत ने चंबल सेंचुरी के अफसरों को सकते में डाल दिया था। इसके कुछ ही दिन बाद इसी इलाके के पिपरौली गढिय़ा गांव में किसानों के द्वारा की गई तारवाणी में फंस कर एक तेंदुए को कई घंटे की मशक्कत के बाद पकड़ तो लिया गया था, लेकिन जब उसको इटावा सफारी पार्क में ला कर के रखा गया दो-तीन दिन बाद उसको ऐसा संक्रमण हुआ, जिससे उसकी भी मौत हो गई।
अभी तक पकड़ा नहीं गया है
सिर्फ इतना ही नहीं चकरनगर इलाके में बेशक तेंदुओं की आवाज़ें सुनी जा रही हैं और उनको देखा जा रहा है, लेकिन इटावा शहर में भी तेंदुए पिछले 2 महीने पहले आ चुके हैं जिनको इटावा सफारी पार्क में लगे कैमरे कैद भी कर चुके हैं लेकिन किसी भी तेंदुए को अभी तक पकड़ा नहीं गया है।
चपेट में आकर मौत का शिकार हो गया
इटावा सफारी पार्क के अफसरों की तरफ से इस तरह के दावे भी किए गए थे कि तेंदुओं को जल्द ही पकड़ लिया जाएगा, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो सका। हालांकि मैनपुरी जिले में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर एक सप्ताह पहले करीब 5 साल की उम्र के एक तेंदुए की मौत के बाद इस तरह की आशंका जताई जाने लगी है कि इटावा सफारी पार्क के आसपास देखे जाने वाला तेंदुआ वहां जा कर के किसी अज्ञात वाहन की चपेट में आकर मौत का शिकार हो गया।
