*पहले लोगो ने अवैध कब्जा किया फिर अपहरण और फिर हत्या करवाई 1986 का मामला

*पहले लोगो ने अवैध कब्जा किया फिर अपहरण और फिर हत्या करवाई 1986 का मामला*                                 चकरनगर(इटावा)थाना सहसों के कस्बा हनुमन्तपुरा में 80%मार्केट पर अवैध कब्जा ।इसका खुलाशा तब हुआ जब वर्तमान योगी सरकार कब्जा मुफ़्त कराने में समूचे प्रदेश में सक्रिय दिखाई दी ।कब्जा मुफ़्त प्रदेश का वर्तमान सरकार द्वारा अभियान शुरू से ही चलाया जा रहा है ।जिसका सन्देश जगह जगह फ़ैल गया और जिन जिन की जमीन और मकान और प्लाटों पर अवैध कब्जा था ।विचारे उम्मीद की साँसें लेने लगे और लगभग लगभग कब्जा मुफ़्त कराने की पहल में प्रदेश सरकार कामयाब होती दिखाई दे रही है ।आओ आपको बताते है क्या है मामला हनुमंतपुरा का ।                   ज्यादा समय नही ढाई दशक पहले  हनुमंतपुरा पर कुछ खास नही था ।सारा बाजार सहसों से ही हुआ करता था ।चम्बल और क्वारी के बीच में एक बिंदु जहां से चारों दिशाओं में जाने का रास्ता खुला था ।और एक दुकान फिर दो दुकान और समय के हिसाब से विस्तार पकड़ता गया ।जब आदमी खेती जगह की अहमियत को समझने लगा ।तो कुछ पैसे से  तो कुछ जबरन लोग कब्जाने लगे ।ढाई दशक पहले बदमाशो की हुकूमत एक विशेष समाज का चलता ।लोगों को अपनी  जान की बलिदान तक देनी पड़ी ।क्षेत्र में बदमासों का चलता कुछ चन्द लोग जो उक्त बदमासों को संरक्षण देते थे ।वो उनके अपने रिश्तेदार और व्योहारी थे ।तभी कुछ चन्द आदमी अवैध लूट घशूट खास तौर पर अवैध कब्जे से करोड़ पति बन गए ।जिनके पास लाखों रूपए किराए पर उन अवैध कब्जा दुकानों से आ रहे है ।सन् 1986 में एक लम्बर तिवारी नाम के सदस्य जो सहसों गाँव के निवासी थे ।जिनकी जमीदारी किसी से आज भी नही छिपी ।लगभग पूरा हनुमन्तपुरा चौराह उन्ही की विरासत पर आज शतरंज खेल रहा है । गुर्जरों की गैंग और उनका बोलबाला इस प्रकार था कि पहले फोन नही थे ।कागज पर लिखकर या कोई व्यक्ति सन्देश लेकर आता था कि इतने रूपए लेकर लालराम के पास या कहो ददा निर्भय गुर्जर के पास या कहो सलीम गुर्जर के पास या रामवीर गुर्जर  के पास या कहो अरविन्द गुर्जर के पास या पपोला या सपोला ये सभी जंगल के शेर अपना आदेश करके रूपए अपनी अड्डी पर ही मंगा लेते थे ।अगर नही तो अपहरण और सजा ए मौत ।दे दी जाती थी ।सन् 1992 में लम्बर तिवारी की जगह पर क्या बनी बनाई बिल्डिंगों पर गैंगों से सम्बन्ध रखने वालों ने दबंगई से कब्जा कर लिया ।ब्राह्मण समाज से मतलब रखने वाले लम्बर तिवारी की उन फक्कड़ों के आगे कोई सुनने वाला नही विचार दर दर की ठोकरे खाते रहे ।पुलिस की शरण में पहुँचने का ये नतीजा निकला कि इन अवैध कब्जाइयों के इशारे पर लम्बर तिवारी का अपरहण और जब उनसे कहा गया कि अपनी हैसियत चौराह का भाग एक गुर्जर बाबा के नाम कर दो "नही की बात पर अड़े"पंडित जी की इशारे इशारे में गोली मारकर बेरहमीं से दर्द नाक हत्या कर दी गयी ।और गोली की नोक पर करोड़ों की बिल्डिंग दुकानों पर पूर्ण रूप से कर लिया गया ।ब्राह्मण समाज का ये भोला परिवार के मुखिया की बली चढ़ जाने के बाद परिवार के सदस्य ईश्वर से डोर लगा गए ।और फिर उस विन्दु को  ध्यान न देकर कुछ लोग गाँव क्षेत्र छोड़कर शहर में  तो कुछ जिला स्तर पर बस गए ।उक्त गुर्जर समाज में एक बदमास ढेर होने पर चार नए पैदा हो जाते थे ।धीमे धीमे समय का बदलाव और सरकारें सक्रिय हुई और बदमासों का तो सफाया हो गया था ।लेकिन अवैध कब्जा मुफ़्त नही हुआ ।जैसे ही भाजपा सरकार पूर्ण रूप से सत्ता में आई कब्जा मुफ़्त का सन्देश सुनते ही तिवारी परिवार उम्मीद की बाट जोहने लगे ।अवनीश उर्फ़ गुड्डू तिवारी ने बताया है कि एक गुर्जर बाबा ने मेरी करोडो की बिल्डिंग दुकानों पर ज्यादा कब्जा किया है ।कब्जा तो बहुत लोगो  ने कर रखा था ।तिवारी जी ने उत्तर प्रदेश सरकार से गुहार लगाई है कि मेरी अचल धरोहर मुझे बापस मिल जाए ताकि हमारे बाबा लम्बर तिवारी कि बलिदानी स्वार हो जाए ।

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